मानसिक रूप से निःशक्त 12 वर्षीय अबोध बालिका के साथ दुष्कर्म करने वाले आरोपी को जीवन पर्यन्त आजीवन कारावास की सजा 

 


 उज्जैन।न्यायालय डॉ. (श्रीमती) आरती शुक्ला पाण्डेय, षष्ठम अपर सत्र न्यायाधीश उज्जैन, के न्यायालय द्वारा आरोपी ब्रदी पिता अम्बाराम, थाना अंतर्गत नागझिरी जिला उज्जैन को धारा 363 भादिव में आरोपी को 07 वर्ष का सश्रम कारावास एवं धारा 376(2)(आई)(जे)(एल) एवं 5/6 भादिव में शेष प्राकृतिक जीवनकाल के आजीवन कारावास की सजा से दण्डित किया गया एवं 2000/- रूपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया। न्यायालय द्वारा पीडिता को प्रतिकर देने हेतु राज्य शासन को निर्देश भी दिये गये।  


 उप-सचांलक (अभियोजन) डॉ. साकेत व्यास ने अभियोजन घटना अनुसार बताया कि घटना इस प्रकार है, कि दिनांक 17.08.2017 को फरियादिया द्वारा थाना नागझिरी पर प्रथम सूचना रिपोर्ट लेखबद्ध कराई कि मैं व मेरे पति मजदूरी करते है। घर में मेरी बड़ी लड़की जिसकी उम्र 12 साल व लड़का 4 साल का है। आज सुबह करीब 08-09 बजे मै व मेरे पति मजदूरी करने चले गये थे। घर पर मेरे लडका व लडकी थे। मेरी लडकी जिसकी उम्र 12 साल की साफ शब्दों में बात नहीं कर पाती है अस्पष्ट रूप से अपनी बात हमें बता देती है, मैं उसकी बात समझ लेती हूॅ। आज दोपहर के करीबन 12ः00 बजे मुझे मेरे जमाई का फोन आया उसने बोला कि तुम जल्दी घर आ जाओ आपकी लडकी रो रही है तो मै तुरंत अपने घर पहुंची मैने पूछा क्या हुआ तो उसने मुझे बताया कि आरोपी बद्री ने मुझे खाने कि चीज देकर बुलाया और अपने साथ ले गया और दुष्कर्म किया। मैं चिल्लाई तो आसपास के लोग आ गये और मुझे उठाकर अपने घर ले गये थे। मेरी लड़की ने यह भी बताया था कि उसको बहुत दर्द हो रहा है। फिर मुझे आसपास के लोगो ने बताया कि आरोपी तुम्हारी लड़की के साथ बलात्कार कर रहा था हमने उसे उठाया था, फिर लड़की को घर ले आये थे। फिर मैने अपने पति को फोन कर घर बुलाया और सारी घटना बताई थी। फिर अपने पति के साथ बच्ची को लेकर थाने पर रिपोर्ट करने आयी थी। 


 प्रकरण में 12 वर्षीय मानसिक रूप से निःशक्त बालिका के साथ दुष्कर्म की घटना होने से प्रकरण की समीक्षा माननीय संचालक महोदय अभियोजन श्री पुरूषोत्तम शर्मा द्वारा की जा रही थी एवं समय-समय पर पैरवीकर्ता को न्योचित एवं विधिक मार्गदर्शन प्रदान किया गया जा रहा था। उक्त निर्देशन में पीडिता मानसिक निःशक्त होने से अभियोजन द्वारा न्यायालय में विशेषज्ञ डॉ0 मोनिका पुरोहित जो कि हेल्प डेस्क (मंद बुद्धि व्यक्तियों की मदद हेतु) थाना तुकोगंज इन्दौर को न्यायालय में आहुत कर न्यायायल के समक्ष पीडिता के साथ हुई घटना को उसके वीडिया ग्रॉफी कथन के द्वारा घटना को संदेह से परे न्यायालय में साबित किया गया है।    


दण्ड के प्रश्नः- आरोपी के अधिवक्ता द्वारा दण्ड के प्रश्न पर निवदेन किया गया है कि आरोपी की आयु एवं उसके प्रथम अपराध को देखते हुये उसके प्रति सहानुभूति पूर्वक विचार किया जाये। अभियोजन अधिकारी डॉ0 साकेत व्यास द्वारा निवेदन किया गया है कि पीड़िता मानसिक रूप से निःशक्त होने के बाबजूद उसके द्वारा दिये गये साहसिक कथन एवं अभियोजन के प्रयासों से न्यायालय में कराये गये कथनों के आधार पर एवं अंतिम तर्क पर दिये गये तर्कों के आधार पर आरोपी के अपराध को संदेह से परे प्रमाणित होने पर आरोपी को दोषसिद्ध पाया गया है और अभियोजन डॉ0 साकेत व्यास ने न्यायालय से निवेदन किया कि, समाज में ऐसे दरिंदो को सास लेने का भी अधिकार नही हैं, तथा आरोपी को अंतिम सास तक के लिये जेल की काल कोठरी में रखा जाये ताकि वह समाज को पुनः दुषित नही कर सके। 
न्यायालय की टिप्पणीः-असल विकलांग वह व्यक्ति होता है जिसकी बुद्धि बुरी सोच का शिकार होती है। विकृत शरीर इतना खराब और दुख देने वाला नही होता है जितनी विकृति मानसिकता होती है। अतः आरोपी दण्ड के संबंध में उदारता का पात्र नही है।  
 प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी, डॉ0 साकेत व्यास उप-संचालक एवं श्री सूरज बछेरिया अति0 जिला लोक अभियोजन अधिकारी उज्जैन द्वारा की गई।      
               अभियोजन मीडिया सेल प्रभारी                उज्जैन मध्य प्रदेश